हस्तिनापुर के विकास को लगेंगे पंख; कौरवों और पांडवों की गाथा की साक्षी रही है यह भूमि, अब यहां बनेगा राष्ट्रीय म्यूजियम
मेरठ। पौराणिक स्थली हस्तिनापुर महाभारत काल में कुरु वंश की राजधानी थी। यही वह स्थान हैं, जहां जुए में युधिष्ठिर द्राेपदी समेत अपना सब कुछ हार गए थे। हस्तिनापुर के इतिहास को संजोने के लिए केंद्रीय बजट में घोषणा की गई है। सरकार यहां पर्यटन सुविधाएं विकसित करेगी और पुरातात्वित इतिहास से लोगों को अवगत कराने के लिए संग्रहालय बनवाएगी।
हस्तिनापुर में महाभारतकालीन कई प्रमाण मौजूद हैं। यह प्राचीन नगरी मेरठ से 48 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व दिशा में गंगा नदी के किनारे स्थित है। दिल्ली से यह दूरी करीब 100 किलोमीटर है। विधान परिषद सदस्य और पूर्व मंत्री यशवंत सिंह ने कहा- पर्यटन विभाग और संस्कृति निदेशालय को हस्तिनापुर का गौरव बहाल करने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश पहले से ही दिए गए हैं। अप्रैल संस्कृति, इतिहास और पत्रकारिता से जुड़े बुद्धिजीवियों का दल 25 दिसंबर को हस्तिनापुर भेजा गया था, ताकि इसपर एक रिपोर्ट तैयार हो सके।
अयोध्या के बाद हस्तिनापुर का प्राचनी गौरव बहाल होगा
युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव की स्मृति को ताजा करने वाला पांडेश्वर मंदिर फिर से वह सम्मान पाएगा जो उसे मिलना चाहिए था। दानवीर कर्ण का मंदिर हो, भीष्म पितामह की जन्मकथा को जी रही बूढ़ी गंगा या अमृत कुआं सबके दिन अब बहुरेंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है।आजादी के बाद हस्तिनापुर की बदहाली का तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संज्ञान लेकर यहां जीर्णोद्धार कराया था।
क्या कहते हैं पुरात्त्वविद् एवं इतिहासकार
हस्तिनापुर में राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने को लेकर प्रसिद्ध इतिहासकार एवं पुरातत्वविद् केके शर्मा ने कहा- इससे छात्रों को शोध करने में सहुलियत मिलेगी। केंद्र सरकार ने पहली बार हस्तिनापुर को पहचान देने के लिए उसे अपने बजट में शामिल किया। पांडव नगरी हस्तिनापुर अपनी मूल पहचान खो रही थी। यह स्थान धीरे-धीरे जैन तीर्थ के रूप में विकसित हो रहा है। राष्ट्रीय संग्रहालय बनने से इतिहास के पन्नों में उकेरी इबारत हकीकत में सामने दिखायी देगी, जिसके प्रमाण पहले भी मिल चुके हैं।
जवाहरलाल नेहरू ने 1949 में किया था पुनर्निर्माण का शिलान्यास
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद 6 फरवरी, 1949 को हस्तिनापुर के पुनर्निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था। इसके साक्षी के रूप में वह शिलालेख अभी भी पार्क में मौजूद है। इस शिलालेख की उम्र अब सत्तर साल की हो गई है। इस बीच देश व प्रदेश में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन हस्तिनापुर की पीड़ा की तरफ किसी ने नजर डालने की जरूरत नहीं समझी।
वित्तमंत्री ने पुरातात्विक महत्व वाले पांच स्थानों- राखीगढ़ी (हरियाणा), हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिवसागर (असम), धोलावीरा (गुजरात) और आदिचनल्लूर (तमिलनाडु) को आइकोनिक स्थलों के रूप में विकसित करने का ऐलान किया था। इन जगहों पर राष्ट्रीय म्यूजियम भी बनाए जाएंगे।